Kathwari

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Kathwari (कठवारी/ कठवाड़ी) (Kathawari) is a village in Kiraoli tahsil of Agra district in Uttar Pradesh.

Location

It is situated 10km away from Kiraoli tahsil Headquarters and has got its own gram panchayat. Bhilawati, Loh Karera and Panwari are some of the nearby villages.

Origin

History

राजस्थान की जाट जागृति में योगदान

ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है ....उत्तर और मध्य भारत की रियासतों में जो भी जागृति दिखाई देती है और जाट कौम पर से जितने भी संकट के बादल हट गए हैं, इसका श्रेय समूहिक रूप से अखिल भारतीय जाट महासभा और व्यक्तिगत रूप से मास्टर भजन लाल अजमेर, ठाकुर देशराज और कुँवर रत्न सिंह भरतपुर को जाता है।

यद्यपि मास्टर भजन लाल का कार्यक्षेत्र अजमेर मेरवाड़ा तक ही सीमित रहा तथापि सन् 1925 में पुष्कर में जाट महासभा का शानदार जलसा कराकर ऐसा कार्य किया था जिसका राजस्थान की तमाम रियासतों पर आश्चर्यजनक प्रभाव पड़ा और सभी रियासतों में जीवन शिखाएँ जल उठी।


सूरजमल शताब्दी 1933 - [p.10]: सन् 1933 में पौष महीने में भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल की द्वीतीय शताब्दी पड़ती थी। जाट महासभा ने इस पर्व को शान के साथ मनाने का निश्चय किया किन्तु भरतपुर सरकार के अंग्रेज़ दीवान मि. हेनकॉक ने इस उत्सव पर पाबंदी लगादी।

28, 29 दिसंबर 1933 को सराधना में राजस्थान जाट सभा का वार्षिक उत्सव कुँवर बलराम सिंह के सभापतित्व में हो रहा था। यह उत्सव चौधरी रामप्रताप जी पटेल भकरेड़ा के प्रयत्न से सफल हुआ था। इसमें समाज सुधार की अनेकों बातें तय हुई। इनमें मुख्य पहनावे में हेरफेर की, और नुक्ता के कम करने की थी। इसमें जाट महासभा के प्रधान मंत्री ठाकुर झम्मन सिंह ने भरतपुर में सूरजमल शताब्दी पर प्रतिबंध लगाने का संवाद सुनाया।

यहाँ पर भरतपुर में कुछ करने का प्रोग्राम तय हो गया। ठीक तारीख पर कठवारी जिला आगरा में बैठकर तैयारी की गई। दो जत्थे भरतपुर भेजे गए जिनमे पहले जत्थे में चौधरी गोविंदराम हनुमानपुरा थे। दूसरे जत्थे में चौधरी तारा सिंह महोली थे। इन लोगों ने कानून तोड़कर ठाकुर भोला सिंह खूंटेल के सभापतित्व में सूरजमल शताब्दी को मनाया गया। कानून टूटती देखकर राज की ओर से भी उत्सव मनाया गया। उसमें कठवारी के लोगों का सहयोग अत्यंत सराहनीय रहा।

Jat Gotras

Population

Population of Kathwari according to Census 2011, stood at 2303 (Males: 1235, Females: 1068).[2]

Notable persons

  • श्रीमती उत्तमा देवी: ठाकुर देशराज को जीवन की ऊँचाइयों तक पहुँचाने में आपकी पहली पत्नी श्रीमती उत्तमा देवी का महत्वपूर्ण योग रहा है जो आगरा जिले के कठवारी ग्राम के एक सामान्य कृषक परिवार से थी. वे ठाकुर साहब के साथ सुख-दुःख की हर घड़ी में सच्ची अर्द्धांगिनी सिद्ध हुई. शेखावाटी के किसान आन्दोलन में हर मोर्चे पर आर्य समाज के भजनोपदेशक के रूप में सक्रीय सहयोग देने वाले और सामंती तत्वों के कोपभाजन बन अनेक पीड़ाओं को हंसते-हंसते सहन करने वाले ठाकुर हुकम सिंह श्रीमती उत्तम देवी के सगे भाई थे. [3]
  • ठाकुर रामबाबूसिंह ‘परिहार’ के भतीजे कुं. बहादुरसिंह, कुं. प्रतापसिंह और चिरंजीव फूलसिंह परिहार-वंश के नवयुवक अपनी भड़कीली बसन्ती पोशाक में जनता के मन को मोह रहे थे।[6] स्वागताध्यक्ष कुंवर बहादुरसिंह (सुपुत्र स्वर्गीय ठाकुर पीतमसिंह परिहार, जमींदार कठबारी) ने अपना छपा हुआ भाषण पढ़ा । अनन्तर ठाकुर हुक्मसिंह परिहार ने ठाकुर भोलासिंह जी फौजदार का प्रख्यात नाम इस महोत्सव के प्रधान बनाए जाने के लिए पेश किया। (जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृष्ठ-680)
  • कुंवर प्रतापसिंह परिहार सुपुत्र ठाकुर रामसरनसिंह परिहार ने समर्थन व कुंवर लालसिंह ने अनुमोदन किया। करतल-ध्वनि के बीच ठाकुर भोलासिंह सभापति के आसन पर आसीन हुए और अपने छपे हुए वीर-रस पूर्ण भाषण को पढ़ा। (जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृष्ठ-681)
  • कठवारी के मुख्य-मुख्य सरदार ठा. छिद्दासिंहजी, ठा. गोपीचन्दजी, ठा. कलियानसिंहजी, (ठा. रामबाबूसिंहजी ‘परिहार’ के बड़े भाई) और महाशय (जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृष्ठ-681) प्यारेलालजी ने आए हुए लोगों की आव-भगत में अपनी पूरी शक्ति लगा दी थी।
  • Thakur Bhuri Singh Kathwari Agra - The Thakur of Kathwari belong to Parihar Jat clan.

External Links

Gallery

References

  1. ठाकुर देशराज:Jat Jan Sewak, p.1,10
  2. Web-page of Kathwari village at Census-2011 website
  3. हरभान सिंह 'जिन्दा: ठाकुर देशराज - राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम के अमर पुरोधा, राजस्थान स्वर्ण जयंती प्रकाशन समिति जयपुर के लिए राजस्थान हिंदी ग्रन्थ अकादमी द्वारा प्रकाशित, वर्ष २००३, पृ. ३७
  4. हरभान सिंह 'जिन्दा: ठाकुर देशराज - राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम के अमर पुरोधा, राजस्थान स्वर्ण जयंती प्रकाशन समिति जयपुर के लिए राजस्थान हिंदी ग्रन्थ अकादमी द्वारा प्रकाशित, वर्ष 2003, पृ. 37
  5. Jat Samaj, Agra, 7/2016,p.20
  6. जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृष्ठ-679

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